गाँधीजी के विचारों और आदर्शों का ही दूसरा नाम ‘गाँधीवाद’, ‘गाँधी मार्ग,’ ‘गाँधी दर्शन’ एवं ‘गाँधीवादी राजनीतिक दर्शन’ है। इन विचारों तथा आदर्शो को भिन्न – भिन्न नाम इसलिये दिये गये हैं क्योंकि गाँधीजी स्वयं किसी वाद, सम्प्रदाय या सिद्धान्त में विश्वास नहीं करते थे और न ही अपने पीछे किसी प्रकार का ‘वाद’ छोड़ना चाहते थे। उनका तरीका प्रयोगात्मक, अनुभववादी तथा वैज्ञानिक था। गाँधीजी एक कर्मयोगी थे। अत: उनके विचारों व आदर्शों की प्रस्तुति एक ‘वाद’ या ‘दर्शन’ के रुप में करना उचित ही है।