गाँधीजी सत्य, अहिंसा, प्रेम व भ्रातृत्व के के पुजारी थे। इन जीवन मूल्यों की व्याख्या कर वह व्यक्ति को उसकी विकृत प्रकृतियों से हटाना चाहते थे। वे राजनीति को पवित्रं करना चाहते थे तथा उसे धर्म और न्याय पर आधारित करना चाहते थे। गाँधी जी व्यक्ति में प्रेम और स्वतन्त्रता का संचार करना चाहते थे।
व्यक्ति को पुरुषार्थ का महत्व समझाना चाहते थे। इस प्रकार गाँधी जीवनशैली से सम्बन्धित है किसी सिद्धान्त से नहीं। बी.पी. सीतारमैय्या के शब्दों में -”गाँधीवाद सिद्धान्तों का, मतों का, नियमों का, विनियमों का और आदेशों का समूह नहीं है। वह जीवन शैली या जीवन दर्शन है। यह एक नयी दिशा की ओर संकेत करता है तथा मनुष्य के जीवन व समस्याओं के लिये समाधान प्रस्तुत करता है।” यह एक ऐसा दर्शन है जो सभी के कल्याण की बात करता है।