वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव: वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभावों का वर्णन इस प्रकार है-
(1) वैश्वीकरण द्वारा कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति को कमजोर करना – वैश्वीकरण ने कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति को कम किया है। वैश्वीकरण के कारण राज्य की क्षमता अर्थात् सरकारों को जो करना है उसे करने की शक्ति में कमी आती है।
- वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में लोक कल्याणकारी राज्य की धारणा अब पुरानी पड़ गयी है। इसके स्थान पर राज्य की एक नयी अवधारणा को विकास हुआ है जिसे न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य की धारणा कहा जाता है। इस धारणा को अपनाये जाने के कारण राज्य अब कुछ कार्यों तक ही अपने को सीमित रखता है, जैसे- कानून एवं व्यवस्था को बनाये रखना तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा करना आदि।
- राज्य पूर्व में कई लोककल्याणकारी कार्य करता था कल्याणकारी राज्य के स्थान पर अब बाजार आर्थिक एवं सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक बन गया है।
- कुछ राष्ट्रीय कम्पनियों के प्रभाव में कृषि वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में विशेषकर विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने अपने पैर पसार लिए हैं। उनकी भूमिका में वृद्धि हुई है। इससे सरकारों को अपने दम पर फैसला करने की क्षमता में कमी आयी है।
(2) कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति पर वैश्वीकरण का कोई प्रभाव नहीं- यह बात ध्यान रखने योग्य है कि वैश्वीकरण से सदैव राज्य की शक्ति में कमी नहीं आती है। राजनीतिक समुदाय के आधार के रूप में राज्य की प्रधानता को वैश्वीकरण से कोई चुनौती नहीं मिली है एवं राज इस अर्थ में आज भी प्रमुख है।
वैश्विक राजनीति में अब भी विभिन्न देशों के मध्य मौजूद पुरानी ईष्र्या एवं प्रतिद्वन्द्विता विद्यमान है। आज भी राज्य कानून एवं व्यवस्था तथा राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अनिवार्य कार्यों को पूर्ण कर रहे हैं। राज्य बहुत सोच-समझकर अपने कदम उन्हीं कार्यों से खींच रहे हैं, जहाँ उनकी मर्जी हो । राज्य अभी भी महत्वपूर्ण बने हुए हैं।
(3) वैश्वीकरण द्वारा कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति में वृद्धि- कुछ क्षेत्रों में वैश्वीकरण के कारण राज्य की शक्ति में वृद्धि भी हुई है। वर्तमान विश्व में वैश्वीकरण के कारण राज्यों के पास आधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है जिसके बल पर राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकता है। इन सूचनाओं के बल पर राज्य अधिक कारगर ढंग से कार्य कर सकते हैं। इस क्षेत्र में राज्यों की क्षमता बढ़ी है। इस प्रकार प्रौद्योगिकी के फलस्वरूप राज्य अब पूर्व की तुलना में अधिक शक्तिशाली हुए हैं।