वैश्वीकरण के परिणाम- वैश्वीकरण ने आज सम्पूर्ण विश्व को एक सूत्र में बाँध दिया है। वैश्वीकरण ने वैश्विक संस्कृति के साथ एक वैश्विक व्यवस्था को जन्म दिया है। इस प्रक्रिया ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है। यह प्रभाव सकारात्मक वे नकारात्मक दोनों रूपों में देखने को मिलता है।
वैश्वीकरण की आलोचना: वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभावों के कारण निम्नलिखित आधारों पर आलोचना की जाती रही है
- वैश्वीकरण ने यूरोप व अन्य राज्यों में शरणार्थी समस्या को जन्म दिया है। 2016 तक 7.4 अरब जनसंख्या में से लगभग 60 करोड़ लोग शरणार्थी है अर्थात् हर 122 वाँ व्यक्ति शरणार्थी है।
- कुछ आलोचकों के अनुसार वैश्वीकरण केवल कॉरपोरेट सेक्टर व उद्योगपतियों के हितों का संवर्धन करता है और इसका गरीब वर्ग के हितों से कोई सरोकार नहीं है।
- आलोचकों का मत है कि वैश्वीकरण की मुक्त बाजारोन्मुखी अर्थव्यवस्था से विश्व की जो अपेक्षाएँ थी, वे पूरी नहीं हो सकी हैं।
- वैश्वीकरण बड़े देशों के साम्राज्यवाद का एक नवीन रूप है।
- वैश्वीकरण ऋण आधारित अर्थव्यवस्था को थोपने के लिये कटिबद्ध है जिसके कारण ऋण में तीव्र वृद्धि एवं ऋण संकट की स्थिति पैदा हो सकती है।
- वैश्वीकरण एक राष्ट्र की स्वायत्तता, सम्प्रभुता और आत्म-निर्भरता को प्रभावित कर सकता है।
- यह प्रक्रिया विकासशील देशों के लिए कभी भी घातक सिद्ध हो सकती है। यह नव – उपनिवेशवादी मानसिकता को बढ़ावा देती है।
वैश्वीकरण की उपलब्धियाँ: आलोचनाओं के बावजूद वैश्वीकरण की सकारात्मक भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।
वैश्वीकरण की निम्नलिखित उपलब्धियाँ रही हैं-
- विकासशील देशों के लोगों की जीवन प्रत्याशी का दोगुना होना व शिशु मृत्यु-दर कम होना।
- वयस्क मताधिकार का व्यापक विस्तार।
- लोगों के भोजन में पौष्टिकता को बढ़ना।
- संचार सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
- स्वच्छ जल उपलब्ध कराना।
- सेवा क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार।
- जीवन को अधिक खुशहाल बनाना।
वैश्वीकरण का सर्वाधिक लाभ विकसित देशों को प्राप्त हुआ है। विकासशील देशों पर सकारात्मक प्रभाव हुए हैं किन्तु अर्द्धविकसित व विकसित देशों को अपेक्षाकृत कम लाभ हुए हैं।