संवैधानिक उपचारों का अधिकार: संवैधानिक उपचारों का अधिकार वह साधन है, जिसके द्वारा मौलिक अधिकारों को व्यवहार में लाया जा सकता है तथा उल्लंघन होने पर अधिकारों की रक्षा की जा सकती है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने इस अधिकार को संविधान का हृदय और आत्मा की संज्ञा दी। इसके अन्तर्गत प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार प्राप्त है कि वह अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में सीधे उच्च न्यायालय अथवा उच्चतम न्यायालय जा सकता है।
उच्च न्यायालयों अथवा उच्चतम न्यायालयों द्वारा मौलिक अधिकारों को लागू करवाने हेतु सरकार को आदेश तथा निर्देश दिया जा सकता है। संविधान में मौलिक अधिकारों का संरक्षक उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय को बनाया गया है। इनकी अवहेलना होने पर सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्देद 32 के तहत) तथा उच्च न्यायालय (अनुच्देद 226 के तहत) लेख जारी कर सकते हैं। ये लेख हैं
- बंदी प्रत्यक्षीकरण
- परमादेश
- प्रतिषेध लेख
- उत्प्रेक्षण लेख
- अधिकार पृच्छा।