मूल अधिकार के महत्व को निम्नलिखित आधारों पर स्पष्ट कर सकते हैं-
(क) लोकतंत्र की सफलता के आधार:
- स्वतत्रंता व समानता लोकतंत्र के दो आधारभूत सिंद्धात हैं। इन दोनों ही को मूल अधिकारों में स्थान दिया गया है।
- लोकतंत्र में जनता निर्वाचित शासकों को शासन करने का अधिकार प्रदान करती है, मतदान के द्वारा वह उन्हें हटा भी सकती है।
(ख) शासन की स्वेच्छाचारिता पर अंकुश:
- कार्यपालिका व विधायिका को अपना कार्य मूल अधिकारों के अनुरूप ही करना होता है।
- मूल अधिकारों के सिंद्धात में प्रशासन का सीमित होना सन्निहित है।
- कार्यपालिका तथा विधायिका की स्वेच्छाचारिता तथा निरंकुशता पर अंकुश लगाना ही इसका उद्देश्य है तथा इस उद्देश्य को प्राप्त कर वह व्यक्ति को अपने आत्म-विकास का अवसर प्रदान करता है।
(ग) अल्पसंख्यकों तथा सामान्यजनों का कल्याण: जनता का सर्वांगीण विकास करना मौलिक अधिकारों का लक्ष्य घोषित किया गया है। राज्य को यह उत्तरदायित्व सौंपा गया है कि वह सामान्यजनों के कल्याण तथा उनके विकास के लिए प्रयास करे।
(घ) अन्य महत्व:
- मौलिक अधिकारों की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि लोकहित में इन पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इस उपबंध से मूल अधिकारों के महत्व में वृद्धि हो जाती है।
- मूल अधिकारों के हनन होने की स्थिति में नागरिक न्यायालय की शरण ले सकता है।
- नागरिकों के मूल अधिकार मानवीय स्वतंत्रता के मापदंड और संरक्षण दोनों ही हैं।