सुषेण वैद्य ने कहा था कि भोर होने से पहले संजीवनी बूटी आने पर ही लक्ष्मण का सही उपचार हो सकेगा, अन्यथा प्राण संकट में आ जायेंगे। भोर होने के करीब थी, परन्तु हनुमान तब तक नहीं आये थे। अतएव श्रीराम लक्ष्मण के अनिष्ट की आशंका से करुण विलाप करने लगे। उन्हें विलाप करते देखकर सारे भालू और वानर यूथ भी शोकग्रस्त हो गये। उसी समय हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आ गये। विशाल पहाड़ को उखाड़कर लाने तथा साहसी कार्य करने से हनुमान को देखते ही सभी में आशा-उत्साह का संचार हो गया। अतः अचानक इस परिवर्तन से करुण रस के बीच वीर-रस का आविर्भाव कहा गया है।