यह कविता सुन्दर भावबिम्बों को प्रस्तुत करने वाली कविता है। प्राकृतिक सौन्दर्य का मनोरम सजीव चित्रण हमारे समक्ष उपस्थित करती है। सौन्दर्य का प्रभावशाली प्रभाव उत्पन्न करने के लिए कवि की रचनात्मक प्रवृत्ति का विशेष योगदान रहता है। इसमें कवि ने सौन्दर्य के चित्रात्मक वर्णन के साथ मन पर पड़ने वाले उसके प्रभाव का भी वर्णन किया भरे आकाश में पंक्ति बना कर उडते श्वेत बगलों को देखता है।
उस दृश्य को देख कर प्रतीत होता है मानो काजल लगे बादलों के मध्य संध्या की सफेद काया तैर रही हो। शाम का श्वेत व लाल वर्ण, जो कि सूर्य की लालिमा से युक्त होता है वह आकाश में सफेद बगुलों का साम्य करती-सी प्रतीत हो रही है। इस दृश्य से बँधी कवि की आँखें निरन्तर टकटकी लगाकर उनका पीछा कर रही हैं। अर्थात् इतना मनोरम दृश्य है जिससे आँखें हटने का नाम ही नहीं ले रही हैं।