मेंढक मंडली पर पानी डालने को लेकर लेखक का तर्क था कि गर्मी के इस मौसम में जहाँ पानी की बहुत किल्लत है ऐसे समय में व्यर्थ में पानी फेंकना, पानी की बर्बादी है। लोगों को पीने के लिए, जीवन यापन के लिए पानी नहीं मिल रहा वहाँ मंडली पर झूठे विश्वास के तहत पानी फेंकना गलत है।
इसके विपरीत, जीजी इंद्र सेना पर पानी फेंकना, पानी की बुवाई मानती थी। वे कहती हैं कि जिस तरह ढेर सारे गेहूँ प्राप्त करने के लिए कुछ मुट्ठी गेहूँ पहले बुवाई के लिए डाले जाते हैं वैसे ही वर्षा प्राप्त करने हेतु कुछ बाल्टी पानी फेंका जाता है। उनका यह तर्क कि सीमित में से ही दिया जाना त्याग कहलाता है और त्याग करने से ही सच्चा लोक-कल्याण होता है।