दोनों कस्टम अधिकारियों ने सामाजिक समरसता के अनुसार सद्भावनापूर्वक उनके नमक ले जाने के निर्णय को सम्मान दिया। साथ ही उन्होंने सफिया को बताया कि उनमें से एक देहली को अपना वतन मानते हैं जिनकी ड्यूटी लाहौर में लगी है तथा दूसरे जो अमृतसर में रहकर अपने वतन ढाका को याद करते हैं। इन दोनों अधिकारियों ने वतन के प्रति स्नेह-भाव को समझते हुए सफिया का साथ दिया। कानून का उल्लंघन करके भी नमक ले जाने दिया। अमृतसर वाले सुनील दास गुप्त तो उनका थैला लेकर आगे-आगे चले। जब तक सफिया ने अमृतसर का पुल पार नहीं किया वे निचली सीढ़ी पर सिर झुकाये खड़े रहे। इन अधिकारियों ने मानवीयता एवं सद्भावना का परिचय देते हुए यह सिद्ध कर दिया कि कोई भी सरहद या कानून आपसी प्रेम-सौहार्द से बढ़कर नहीं है।