'नमक' कहानी भारत और पाकिस्तान के विभाजन की अत्यन्त मार्मिक कहानी है। इसमें सरहद के इस पार और उस पार के लोगों के दर्द और भावनाओं का इजहार हुआ है। पाकिस्तान से विस्थापित हुई सिख बीबी आज भी लाहौर को ही अपना वतन मानती है। वह उपहार के रूप में वहाँ से नमक लाने की फरमाईश करती है। पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी गैरकानूनी होते हुए भी नमक ले जाने की अनुमति देते समय देहली को अपना वतन बताता है।
इसी प्रकार भारतीय कस्टम अधिकारी ढाका को अपना वतन बताते हुए सफिया को चाय पिलाता है और दूर तक दौड़कर आता है। इस तरह यह कहानी भौगोलिक रूप से दो भागों में बँट गए देश के लोगों की भावनात्मक एकता की मार्मिक कहानी है। कहानी का संदेश भी अत्यन्त मार्मिक है कि राष्ट्र-राज्यों की नयी सीमा रेखाएँ खींची जाने के बावजूद भी ये सीमाएँ लोगों के अन्तर्मन को नहीं बाँट पाई हैं। आज भी एक-दूसरे के प्रति स्नेह का भाव मौजूद है।