राव साहब गांव के सम्मानित जमींदार हैं। उनके चरित्र की विशेषताएँ इस प्रकार हैं नेक दिल, उदार और रौबीले इंसान-राव साहब नेक दिल, उदार और रौबीले जमींदार हैं। कभी लेखक के दादा उन्हीं के खेतों में काम किया करते थे। वे अपने गुणों के आधार पर सहायता माँगने पहुँचने वालों की सहायता करते थे। इसी दृष्टि से उन्होंने लेखक की माँ की पीड़ा सुनकर लेखक की पढ़ाई के लिए हाँ कर दी थी। बात के धनी-जमींदार बात के धनी थे।
उन्होंने लेखक की माँ से कहा था कि इसके दादा को मेरे पास भेजना। उन्होंने दादा को खरी-खोटी सुनाकर लेखक को पाठशाला भेजने के लिए कहा। दादा उनके सामने कुछ बोल नहीं सका और लेखक को पढ़ाने के लिए हाँ कर दी। इस आधार पर कहा जा सकता है कि मुखिया अपनी बात के धनी थे, जो कहते थे, वही करते थे। इसके साथ ही वे सद्व्यवहारी, परदुःखकातर और सच्चरित्र इंसान भी थे।