अज्ञातवास के दौरान ऐन फ्रैंक व उसके परिजनों का जीवन एकदम नीरस हो गया था। वे लोग कहीं आ जा नहीं सकते थे। सब लोग डरे-डरे व सहमे रहते थे। वे घूम-फिर कर वही बातें दोहराते थे। खाना खाते समय उनके ' बीच जो बातें होती थीं। उनका विषय अच्छा खाना होता था या फिर राजनीति। इसके अतिरिक्त मम्मी या मिसेज़ वानदान अपने बचपन की उन कहानियों को लेकर बैठ जाती थी जो हम हजार बार सुन चुके थे। या फिर मिस्टर डसैल शुरू हो जाते थे।
वे खूबसूरत रेस के घोड़े, उनकी चार्लोट का महँगा वॉर्ड रोल, लीक करती नावों, चार बरस की उम्र में तैर सकने वाले बच्चे, दर्द करती माँसपेशियाँ और डरे हुए मरीज़ आदि के संबंध में उनके किस्से हुआ करते थे। ये सारी बातें सबको रट चुकी थीं। कोई भी लतीफ़ा नया नहीं होता था। किसी भी लतीफे को सुनने से पहले ही हमें उसकी पंचलाइन पता होती थी। नतीज़न लतीफा सुनाने वाले को अकेले ही हँसना पड़ता था। परिणामस्वरूप सभी का जीवन बोरियत वाला एवं कष्टमय बन गया था।