लेखिका ने बताया है कि उसके पिता एक स्थान पर घबराए हुए दृष्टिगत होते हैं। जिसके कारण उनके पापा का चेहरा पीला पड़ चुका था और वे नर्वस से प्रतीत हो रहे थे। इसका कारण यह था कि एक रात उनके घर के नीचे वाले गोदाम में चोरी और लूटमार की नियत से कुछ सेंधमार घुस आए थे। उन्होंने गोदाम के किवाड़ के फट्टे को तोड़ दिया था और लूटमार में लग गए थे। पिताजी, मिस्टर वानदान और पीटर लपक कर नीचे पहुँच गए।
बिना सोचे-समझे मिस्टर वान-दान चिल्लाए, 'पुलिस'। पुलिस का नाम सुनते ही सेंधमार भाग गए। फट्टे को दोबारा उसी जगह पर लगाया गया ताकि पुलिस को इस गैप का पता न चले। लेकिन अगले क्षण फिर सेंधमारों द्वारा फट्टा वापस गिरा दिया गया और वे लौटकर फिर से चोरी करने में जुट गए। इस सारे दृश्य की अनुभूति करके लेखिका के पिता को लगा कि उनके अज्ञातवास का पता चल जाता।