नाजियों ने यहूदियों पर अनेक अत्याचार युद्ध के दौरान किए, जर्मन पुलिस ने यहूदियों की औरतों के साथ दुराचार भी किया। इसी बात को ध्यान में रखकर ऐन फ्रैंक के मस्तिक में एक प्रश्न उभरता रहा कि औरतों के साथ पुरुष वर्ग द्वारा अन्याय क्यों किया जाता है? इस संबंध में उसने माना कि पुरुषों ने औरतों पर शासन किया है, क्योंकि वे पुरुषों की तुलना में शारीरिक रूप से कम सक्षम हैं। पुरुष ही कमा कर लाता है, बच्चे पालता-पोसता है और जो उसके मन में आए वह औरतों के साथ वैसा ही व्यवहार करता है।
स्थिति यहाँ तक बन जाती है, जब बच्चा जनने के बाद उसका शरीर अपना आकर्षण खो देता है, तो उसको एक ओर धकिया दिया जाता है, उसके बच्चे भी उसे छोड़ देते हैं। वह औरत ही रंतरता को बनाए रखने में इतनी तकलीफ़ों से गुजरती है और संघर्ष करती है। जबकि पुरुष औरतों को बच्चा पैदा करने और भोगेच्छा पूरी करने वाली मानते हैं। पुरुषों का यह व्यवहार विराट अन्याय है।