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निबन्ध लेखन:

आत्मनिर्भर भारत

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1. प्रस्तावना - शास्त्रों में कहा गया है कि 'सर्वं परवशंदुःखम्' 'सर्वमात्मवशं सुखम्' अर्थात् सब तरह से दूसरों पर निर्भर रहना ही 'दुःख' है एवं सब प्रकार से आत्मनिर्भर होना ही सुख है। इसका प्रत्यक्ष अनुभव कोरोना वैश्विक महामारी के समय स्पष्ट रूप से सभी को हुआ है। इस महामारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है। देश को समृद्ध व सुखी बनाने के लिए तथा कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए भारत के प्रधानमन्त्री ने 12 मई, 2020 को 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान शुरू करने की घोषणा की।

2. आत्मनिर्भर भारत - भारत के प्रधानमन्त्री ने कोरोना महामारी से पहले और बाद की दुनिया का उल्लेख करते हुए कहा कि 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के सपने को पूरा करने के लिए यह सुनिश्चित करते हुए आगे बढ़ना है कि देश आत्मनिर्भर हो जाए। आज भूमण्डलीकृत. दुनिया में आत्मनिर्भरता के मायने बदल गए हैं। जब भारत आत्मनिर्भरता की बात करता है तो वह आत्मकेन्द्रित व्यवस्था को प्रश्रय नहीं देता है।

भारत की संस्कृति सम्पूर्ण विश्व को एक परिवार के रूप में मानती है और भारत की प्रगति में हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है। अतः आत्मनिर्भर भारत का तात्पर्य स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ - साथ विदेशी निवेश को भी बढ़ावा देना है, जिससे यहाँ रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध हो सकें. एवं भारत की आर्थिक समृद्धि के साथ ही विश्व का भी कल्याण हो सके।

3. आत्मनिर्भर भारत के पाँच स्तम्भ - प्रधानमन्त्री महोदय के अनुसार आत्मनिर्भर भारत के पाँच स्तम्भ इस प्रकार हैं - 1. अर्थव्यवस्था, जो वृद्धिशील परिवर्तन नहीं, बल्कि लम्बी छलाँग सुनिश्चित करती है। 2. बुनियादी ढाँचा, जिसे भारत की पहचान बन जाना चाहिए। 3. प्रणाली (सिस्टम), जो 21वीं सदी की प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्थाओं पर आधारित हो। 4. उत्साहशील आबादी, जो आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है, तथा 5. माँग, जिसके तहत हमारी माँग एवं आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) की ताकत का उपयोग पूरी क्षमता से किया जाना चाहिए।

4. आत्मनिर्भरता के उपाय एवं लाभ - आत्मनिर्भरता के लिए भूमि, श्रम, तरलता और कानूनों पर फोकस करते हुए कुटीर उद्योग, एमएसएमई, मजदूरों, मध्यम वर्ग तथा उद्योगों सहित विभिन्न वर्गों की जरूरतों को पूरा करना आवश्यक है। इसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए मनोबल के साथ - साथ आर्थिक सहायता के रूप में भारत सरकार ने विभिन्न चरणों में लगभग बीस लाख करोड रुपयों के एक विशेष आर्थिक पैकेज विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता और गुणवत्ता बढ़ाने, गरीबों, मजदूरों, प्रवासियों इत्यादि को सशक्त बनाने में सहायक होगा। आत्मनिर्भरता भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में कड़ी प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगी। इसके लिए लोकल (स्थानीय या विदेशी) उत्पादों का गर्व से प्रचार करने और इन लोकल उत्पादों को वैश्विक बनाने में मदद करने की आवश्यकता है। इन उपायों को करने से भारत न केवल आर्थिक दृष्टि से सशक्त होगा, अपितु विश्व में विकासशील देशों में अग्रणी बन सकेगा।

5. उपसंहार - वर्तमान संकट ने सम्पूर्ण विश्व को आत्मनिर्भरता के महत्त्व को पूर्णतया समझा दिया है। आत्मनिर्भरता ही सभी तरह के संकटों का सामना करने का सशक्त हथियार है, जिसके बल से हम आर्थिक संकट रूपी युद्ध को जीत सकते हैं। अतः विश्व में भारत की महत्ता एवं सम्पन्नता को बनाये रखने के लिए आत्मनिर्भर भारत की अति आवश्यकता है।

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