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निबन्ध लेखन:

कैशलेस अर्थव्यवस्था : चुनौतीपूर्ण सकारात्मक कदम

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1. कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर कदम - भारतीय अर्थव्यवस्था में कैशलेस' शब्द उस समय अचानक पूरे देश में चर्चा में आ गया जब 8 नवम्बर 2016 को भारत सरकार ने 500 रुपये व 1000 रुपये के नोटों की वैधता को निरस्त करने की घोषणा की। अचानक हुए नोटबन्दी से अर्थव्यवस्था की लगभग 86 प्रतिशत मुद्रा अवैध घोषित हो गई जिससे नकदी का संकट उत्पन्न होना स्वाभाविक था। ऐसे में कैशलेस अर्थव्यवस्था की अवधारणा एक महत्त्वपूर्ण विकल्प बनकर सामने आया। कैशलेस अर्थव्यवस्था का तात्पर्य लेन - देन हेतु नकद के स्थान पर उसके विकल्प 'डिजिटल अर्थात् डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, पेटीएम या अन्य माध्यमों का प्रयोग करने से है।

2. कैशलेस अर्थव्यवस्था के लाभ - कैशलेस अर्थव्यवस्था बनाने के कई लाभ है जिसका अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

ये लाभ निम्न हैं -

  1. कैशलेस से सभी लेन - देनों में पारदर्शिता आती है।
  2. इससे अर्थव्यवस्था में काले धन पर प्रभावी नियन्त्रण सम्भव है क्योंकि इससे आर्थिक लेन - देनों का ब्यौरा पता चल जाता है।
  3. इससे नकद लेकर चलने से जुड़ी असुविधाओं से मुक्ति मिलती है।
  4. इससे अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
  5. कैशलेस व्यवस्था से उद्योग एवं व्यापार को बढ़ावा मिलता है।

3. कैशलेस अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ - कैशलेस अर्थव्यवस्था के अनेक लाभ हैं, किन्तु भारत जैसे विकासशील देश में अर्थव्यवस्था को कैशलेस करना अत्यन्त चुनौतीपूर्ण कार्य है।

यहाँ प्रमुख चुनौतियाँ निम्न हैं-

  1. हमारे देश में जनसंख्या का एक बड़ा भाग बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ा हुआ नहीं है, यह एक बड़ी चुनौती है।
  2. भारत की एक - चौथाई जनसंख्या निरक्षर है अतः यहाँ कैशलेस अर्थव्यवस्था की बात करना एक तरीके से बेमानी है।
  3. गाँवों में अभी तक आवश्यक आधारभूत सुविधाएँ परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि ही उपलब्ध नहीं हैं, वहाँ कैशलेस के विषय में सोचना भी अर्थहीन प्रतीत होता है।
  4. भारत डिजिटल सुरक्षा के मामले में अभी भी काफी पीछे है। अतः लोग कैशलेस लेन - देन को लेकर आशंकित रहते हैं।
  5. देश में कई जगहों पर इन्टरनेट सुविधा नहीं है या स्पीड बहुत धीमी है।

4. उपसंहार - भारत जैसे विकासशील देश में जहाँ अभी तक आधारभूत सुविधाएँ भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं, अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण है तथा लगभग एक - चौथाई जनसंख्या निर्धनता रेखा से नीचे है वहाँ कैशलेस अर्थव्यवस्था की कल्पना करना इतनी जल्दी सम्भव नहीं। हमें पहले आधार बनाना होगा तथा फिर लोगों को इसके लिए तैयार करना होगा।

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