प्रकाश संश्लेषण एक उपापचयी अभिक्रिया है। इसमें वायुमण्डलीय CO2 तथा अवशोषित जल का उपयोग करके क्लोरोफिल (Chlorophyll) तथा प्रकाश की उपस्थिति में ग्लूकोज (शर्करा) का निर्माण होता है तथा O2 उत्पाद के रूप में निकलती है।
हिल (1941) रुबेन तथा कामेन (1943) आदि ने अपने प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया कि प्रकाश संश्लेषण में O2 जल के प्रकाशीय अपघटन से प्राप्त होती है। उपरोक्त समीकरण में ग्लूकोज (Glucose) के एक अणु के निर्माण के लिए 6 अणु CO2 के तथा 12 अणु जल के प्रयुक्त होते हैं और 6 अणु जल के तथा 6 अणु O2 के निकल जाते हैं।