प्रयोगवादी काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि गजानन माधव मक्तिबोध का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के श्योपुर गाँव में सन् 1917 में हुआ। नागपुर विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी) करने के बाद राजनाद गाँव के डिग्री कॉलेज में अध्यापन कार्य शुरू किया। मुक्तिबोध को जीवनपर्यन्त संघर्ष करना पड़ा और संघर्षशीलता ने इन्हें चिन्तनशील एवं जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने को प्रेरित किया।
'चाँद का मुँह टेढ़ा है', भूरी-भूरी खाक-धूल' (काव्य-संग्रह); काठ का सपना, विपात्र, सतह से उठता आदमी (कथा-संग्रह); एक साहित्यिक की डायरी, नए साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र लोचना) आदि मुक्तिबोध द्वारा रचित रचनाएं हैं। उत्कृष्ट भाषा, भावों के अनुरूप शब्द गढ़ना और उसका परिष्कार करना इनकी सहज शैली है। देश की आर्थिक समस्याओं पर लगातार लिखा है।