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सूर्योदय का वर्णन लगभग सभी बड़े कवियों ने किया है। प्रसाद की कविता 'बीती विभावरी जागरी' और अज्ञेय की 'बावरा अहेरी' की पंक्तियाँ आगे दी जा रही हैं। 'उषा' कविता के समानान्तर इन कविताओं को पढ़ते हुए नीचे दिए गए बिन्दुओं पर तीनों कविताओं का विश्लेषण कीजिए और यह भी बताइए कि कौनसी कविता आपको ज्यादा अच्छी लगी और क्यों? 
• उपमान • शब्दचयन • परिवेश 

बीती विभावरी जाग री! - 

अंबर पनघट में डुबो रही -  

तारा-घट ऊषा नागरी। 

खग-कुल कुल-कुल-सा बोल रहा,

किसलय का अंचल डोल रहा,

लो यह लतिका भी भर लाई -  

मधु मुकुल नवल रस गागरी।

अधरों में राग अमंद पिए,

अलकों में मलयज बंद किए -

तू अब तक सोई है आली 

आँखों में भरे विहाग री। 

-जयशंकर प्रसाद

भोर का बावरा अहेरी 

पहले बिछाता है आलोक की 

लाल-लाल कनियाँ 

पर जब खींचता है जाल को 

बाँध लेता है सभी को साथ : 

छोटी-छोटी चिड़ियाँ, मँझोले परेवे, बड़े-बड़े पंखी 

डैनों वाले डील वाले डौल के बेडौल 

उड़ने जहाज, 

कलस-तिसूल वाले मंदिर-शिखर से ले 

तारघर की नाटी मोटी चिपटी गोल धुस्सों वाली उपयोग-सुंदरी 

बेपनाह काया को : 

गोधूली की धूल को, मोटरों के धुएँ को भी पार्क के किनारे पुष्पिताग्र कर्णिकार की आलोक-खची तन्वि रूप-रेखा को 
और दूर कचरा जलानेवाली कल की उदंड चिमनियों को, जो 
धुआँ यों उगलती हैं मानो उसी मात्र से अहेरी को हरा देंगी।

- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय

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1. उपमान, शब्द-चयन एवं परिवेश-चित्रण की दृष्टि से जयशंकर प्रसाद की कविता सबसे अच्छी लगी। इसमें शब्द-चित्र, बिम्ब-विधान के साथ अलंकृति, कोमलता एवं गेयता का पूरा ध्यान रखा गया है।

2. अज्ञेय की कविता में यद्यपि नये उपमान हैं, शब्द-चयन भी ठीक है, परन्तु परिवेश का रम्य-चित्रण प्रसाद की तरह नहीं हुआ है। शब्द-चित्र एवं बिम्ब-प्रतीक आदि की अधिकता से इसका भाव-सम्प्रेषण कुछ धीमा पड़ गया है तथा अर्थ-बोध भी कठिन शब्दों के चयन से अपनी सरलता व सहजता खो रहा है। 

3. 'उषा' कविता में शमशेर सिंह ने मानवीकरण एवं नये उपमानों को अपनाया है, तथापि इसका शब्द-चयन एवं भाव-सौन्दर्य प्रसाद की कविता के समक्ष कमजोर है। किन्तु ग्रामीण परिवेश में उदित सूर्य व उषा का सौन्दर्य वर्णन अतीव सजीवता लिये हुए है।

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