अरे वर्ष के हर्ष - बादल वर्ष-भर में वर्षा-ऋतु में मूसलाधार बरस कर धरती को हरा-भरा बनाते हैं। इसलिए यह सम्बोधन उचित है।
मेरे पागल बादल - बादल आकाश में अपनी स्वच्छन्द गति से मण्डराते रहते हैं, स्वेच्छा से गरजते एवं मस्त बने रहते हैं। यह कथन बादलों की मस्त चाल के लिए उचित है।
ऐ निर्बन्ध - बादल सर्वथा स्वच्छन्द होते हैं। वे किसी के बन्धन या नियन्त्रण में नहीं रहते हैं। इसलिए इन्हें निर्बन्ध अर्थात् बंधनमुक्त कहा है।
ऐ उद्दाम - बादल पूर्णतया निरंकुश और असीमित आकाश में उमड़ते-घुमड़ते हुए घनघोर गर्जना करते रहते हैं। इन पर किसी का अधिकार नहीं होता है।
ऐ विप्लव के प्लावन - बादलों के मूसलाधार बरसने से विनाशकारी बाढ़ भी आ जाती है। यह सम्बोधन ‘उचित है।
ऐ अनन्त के चंचल शिशु सुकुमार - बादल चंचल शिशु की तरह सुकुमार भी होते हैं, नटखट बच्चों की तरह मचलते हैं। प्रकृति के चंचल शिशु-समान है। अतः यह सम्बोधन उचित है।