इसमें में यह अर्थ निहित है कि खेत चौकोर आकार में बना होता है तथा जिस प्रकार खेत में बीज, पानी, खाद आदि डाले जाते हैं और तब उसमें अंकुर उगकर फूल-फल आदि लगते हैं, उसी प्रकार कागज के चौकोर पन्ने पर ही कवि अपने मन के भावों को शब्दबद्ध करके रस, अलंकार आदि की अभिव्यक्ति करता है तथा फलरूपी आनंद रस की। उत्पत्ति करता है। इस तरह कवि ने अपने कवि-कर्म को किसान की तरह बताने के लिए कागज के पन्ने को चौकोना खेत कहा है।