भक्तिन ने पति की असामयिक मृत्यु के बाद बड़े दामाद को घरजवाई बना लिया था। परन्त कछ समय बाद दामाद की मृत्यु हो गई। तब उसे उसके बड़े जिठौत के साले को पंचायत के गलत निर्णय के कारण दामाद मानना पड़ा। धीरे-धीरे सम्पत्ति जाती रही और समय पर लगान न चुका पाने से जमींदार द्वारा अपमानित होना पड़ा। इस प्रकार भक्तिन का दुर्भाग्य उसके साथ हठपूर्वक लगा रहा।