भक्तिन के जीवन का पहला परिच्छेद विवाह से पूर्व का, दूसरा विवाह होने का, तीसरा विधवा हो जाने के बाद का बताया गया है। महादेवी की सेविका बनने पर उसके जीवन का चौथा अध्याय प्रारम्भ हुआ। महादेवी के कथन का आशय यह है कि यह उसके जीवन का अन्तिम परिच्छेद है, क्योंकि भक्तिन का शेष जीवन अब उनके ही साथ बीतेगा।