भक्तिन के आने से महादेवी के जीवन में यह परिवर्तन आने लगा कि वह साधारण देहाती जीवन जीने की लगी। वह भक्तिन के कारण होने वाली अपनी असुविधा को छिपाने लगी। वह भक्तिन द्वारा पकाये गये देहाती भोजन खाने लगी और उससे अनेक दंतकथाएँ सुनकर उन्हें कण्ठस्थ रखने लगीं। इस तरह महादेवी के जीवन में देहातीपन आने लगा।