भक्तिन हर दशा में अपनी मालकिन की सेवा करने के लिए उसके साथ रहना चाहती थी। वह लेखिका के साथ कारागार में जाने और अन्याय के खिलाफ बड़े लाट तक से लड़ने को उद्यत थी। एक प्रकार से वह अपने जीवनान्त तक लेखिका का साथ निभाना चाहती थी। उसके ऐसे आचरण एवं सेवा-भाव को देखकर लेखिका ने कहा कि उसकी कहानी का पूरा उल्लेख करना सम्भव नहीं है।