ग्राम-पंचायत ने निर्णय दिया था कि तीतरबाज युवक का भक्तिन की बेटी की कोठरी में प्रवेश करना कलियुग की समस्या है। चाहे दोनों में एक सच्चा हो अथवा दोनों झूठे हों, परन्तु एक कोठरी में साथ रहने से ये अब पति-पत्नी रूप में ही रहेंगे। पंचायत का यह निर्णय पूरी तरह अन्यायपूर्ण, धार्मिक मान्यता के विरुद्ध और अमानवीय था। पंचायत का निर्णय एक प्रकार से नारी जाति का घोर अपमान एवं शोषण था।