यह कथन प्रतीकात्मक है। वर्तमान में हमारे देश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। जनता के कल्याण के लिए बनने वाली विकास योजनाओं रूपी गगरी में भ्रष्टाचार के छेद हो गये हैं। योजनाएँ तो खूब बनती हैं, पर उनका लाभ आम जनता को नहीं मिलता है, इस तरह उक्त कथन से समकालीन भ्रष्ट शासन की व्यंजना की गई है।