लुट्टन पहलवान ढोल को अपना गुरु और संघर्ष करने की शक्ति देने वाला मानता था। ढोल की ध्वनि से उसमें साहस और उत्तेजना का संचार होता था। सन्नाटे में ढोल जीवन्तता का संचार करता है। इसी कारण गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहान्त के बावजूद भी वह जीवन में हिम्मत बनाये रखने के लिए ढोल बजाता रहा।