अपने शिष्यों से लुट्टन पहलवान ने ये शब्द इसलिए कहे थे कि वह जिन्दगी में किसी से नहीं हारा, अ जीवन में सदैव संघर्ष करता रहा और बड़े-बड़े पहलवानों से भी चित नहीं हुआ था। अतः उसके ये शब्द अपने गौरवयुक्त 'जीवन के उज्ज्वल पक्ष को ही उद्घाटित करने वाले थे, जो कि एक शिष्य द्वारा उसकी मृत्यु हो जाने पर कहे गये थे।