चार्ली की फिल्में भावनाओं पर टिकी हुई हैं, बुद्धि पर नहीं। उनका चमत्कार यही है कि वे पागलखाने के मरीजों से लेकर महान् वैज्ञानिक आइन्स्टाइन जैसे प्रतिभाशाली तक को आनन्द प्रदान करती हैं। चार्ली ने फिल्म कला को लोकतान्त्रिक बनाया तथा समाज की वर्ण एवं वर्ग-व्यवस्था को तोड़ा। चार्ली ने अपनी फिल्मों में उच्च वर्ग तथा शासक वर्ग की कमजोरियों पर सशक्त व्यंग्य किये।