'नमक' कहानी में 'नमक' भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद इन अलग-अलग देशों में रह रहे लोगों के मध्य परस्पर प्रेम का प्रतीक है। जिस प्रकार नमक के बिना खाने में कोई स्वाद नहीं रह जाता उसी प्रकार इन दोनों देशों के मध्य प्रेम न रहने से आनन्द नहीं मिलता है। यही वो नमक वही आनन्द है जो विस्थापित और पुनर्वासित होकर भी एक-दूसरे के दिलों से जुड़े हैं।
उसी तरह "वतन' शब्द का भाव स्नेह, प्रेम, सौहार्द की चाशनी में लिपटा वह मधुर स्मृतियों का खजाना है जिसकी मीठी याद ही व्यक्ति को स्नेह व आनंद से सराबोर कर देती है। मेरा वतन, मेरी मिट्टी ये सभी मधुर वाक्य हृदय को मीठी स्मृतियों से भरकर अपनों के प्रति भावुक कर देते हैं। मानवीय भावनाएँ ही वह ज्वार है जो नियमों के बाँध को तोड़ देता है।