लेखक ने यह सन्देश दिया है कि संसार में प्राणियों की मृत्यु शाश्वत सत्य है, इसलिए हमें मृत्यु से नहीं डरना चाहिए। जिस प्राणी में थोड़ी भी ऊर्ध्वमुखी प्राणधारा होती है, जीवनी-शक्ति होती है, वह महाकाल के कोड़ों की मार से कुछ समय तक बचे रहता है। अतः जीवन में आगे बढ़ते रहो, संघर्ष करते रहो।