डॉ. आम्बेडकर के अनुसार जब अपना व्यवसाय चुनने की स्वतन्त्रता न हो, तो उसका अर्थ 'दासता' मानना चाहिए। क्योंकि दासता का आशय केवल कानूनी पराधीनता के अन्तर्गत ही नहीं माना जाता, अपितु जिसमें कुछ व्यक्तियों को अपनी क्षमता एवं रुचि के विरुद्ध पेशा अपनाने को विवश होना पड़ता है। ऐसी विवशता को भी दासता कहा गया है।