व्यतिकरण की घटना से कला संबंध स्रोतों से आने वाले दो पृथक-पृथक् तरंगायों के अध्यारोपण से होती है।
अतः व्यतिकरण में न तो ऊर्जा उत्पन्न होती है, न इसमें ऊर्जा का विनाश होता है। केवल इसमें ऊर्जा का रूपांतरण होता है।
यंग के द्विक छिद्र प्रयोग में फ्रिज की चौड़ाई का व्यंजक-

माना कि दो कला सम्बद्ध एकवर्षी प्रकाश स्रोत A तथा B एक-दूसरे से d दूरी से अलग है। एक पर्दा स्रोतों को समतल के समानान्तर D दूरी पर स्थित है। A तथा B से बराबर दूरी पर पर्दा पर एक बिन्दु है। पर्दा पर से कम दूरी x पर P कोई बिन्दु है। A तथा B से AP तथा BP दूरी P से क्रमश: D1 तथा D2 है। चित्रानुसार हम पाते हैं कि PO = x तथा AB = dI

व्यतिकरण के सिद्धांत से, P बिन्दु पर अंधकारमय फ्रिन्जों के लिए,
\(\frac {xd}{D} = (2n + 1) \frac {\lambda}{2}\) या, \(x = (2n + 1) \frac {d \lambda}{2d}\)
प्रकाशित फ्रिन्जों के लिए, \(\frac {xd}{D} = n \lambda \) या, \(x =\frac {n \lambda D}{d}\)
\(\frac {\lambda D}{2D} , \frac {3 \lambda D}{ 3D} , \frac {5\lambda D}{5D}...\) दूरी पर अंधकारमय फ्रिन्जें तथा से O से \(\frac {\lambda D}{d} ,\frac {2 \lambda D}{d}, \frac {3 \lambda D}{d}...\)
दूरी पर प्रकाशमय फ्रिन्जें प्राप्त होते हैं। O बिन्दु पर प्राप्त प्रकाशमय फ्रिन्जेंकेंद्रीय प्रकाशमय फ्रिन्ज कहलाती हैं, जहाँ n फ्रिन्जों का क्रम कहलाता है। हम जानते हैं कि एक अंधकारमय फ्रिन्ज से दूसरे अंधकारमय फ्रिन्ज या एक प्रकाशमय फ्रिन्ज से दूसरे प्रकाशमय फ्रिन्ज के बीच की दूरी को फ्रिन्ज की चौड़ाई कहते हैं, जिसे B' द्वारा व्यक्त किया जाता है।
\(\therefore\) फ्रिन्जों की चौड़ाई, \(\beta \) = \(X_{n+1} -X_n = 2(n+1) \frac {\lambda}{2} .\frac {D}{d} -2 n.\frac {\lambda}{2}.\frac {D}{d} =\frac {\lambda D}{d}\)
तथा अंधकारमय फ्रिन्जों की चौड़ाई, \(\beta = x _{n +1}-x_n\)
\(= (2n +1) \frac {\lambda}{2}.\frac {D}{d} - (2n + 1) \frac {\lambda}{2}.\frac {D}{d} = \lambda \frac {D}{d}\)
इस प्रकार सामान्यतः फ्रिन्ज की चौड़ाई, \(\beta = \frac {\lambda D}{d}I\)