किसी बंद सतह पर कुल वैद्युत फ्लक्स सतह द्वारा घिरे कुल आवेश एवं निर्वात की परावैद्युतांक के अनुपात के बराबर होता है।

मान लिया कि एक बंद समह के अंदर आवेश q1 q2 एवं q3 तथा बाहर आवेश q4, q5 हैं। इन सबके कारण तल के किसी बिंदु पर नेट तीव्रता \(\vec {E}\) है। इस बिंदु पर एक क्षेत्रफल सदिश \(\overrightarrow {dS}\) है जो बाहर दिष्ट लंबवत है इसलिए इस क्षेत्रफल पर वैद्युत फ्लक्स \(\vec {E} .\overrightarrow {dS}\) होगा तथा पूरे तल पर फ्लक्स
\(\phi = \int \vec {E} .\overrightarrow {dS}\)
गाँस के प्रमेय के अनुसार, \(\phi =\frac {q_1 + q _2 + q _3}{\in _ 0}\)
कुल फ्लक्स बाहर के आवंशों पर निर्भर नहीं करता है।
पतले सीधे अनंत लंबाई के एक समान आवेशित तार के कारण किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक-

तार से दूरी पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता की दिशा तार पर लंबवत होगी। अब एक गाँसीय बेलनाकार सतह लेते हैं। इसके वक्रतल पर \(\vec {E}\) एवं अत्यल्प क्षेत्रफल सदिश ds की दिशां समान होगी, परंतु वृत्तीय तल पर \(\vec {E} \bot \overrightarrow {ds}\) है।
अतः, वक्र तल पर \(\vec {E}.\overrightarrow {dS}= EdS\)
तथा वृत्तीय तल पर \(\vec {E}.\overrightarrow {dS}\) \(=EdS\,cos\,90° = 0\)
कुल फ्लक्स = \(\phi =\int EdS = E 2\pi rh\)
ऊँचाई h में निहित वक्रतल आवेश rh है।
अतः गॉस नियम से, \(E2 \pi rh =\frac {\lambda h }{\in _0}\) ⇒ \(E = \frac {\lambda }{2 \pi \in _0 r}\)
तीव्रता \(\vec {E}\) की दिशा तार पर लंबवत होती है। यह तार से दूर दिष्ट होगी यदि \(\lambda\) > 0 तथा तार की ओर दिष्ट होगी यदि \(\lambda \) < 0.