भूमि की उर्वरता को टिकाऊ बनाए रखते हुए सतत फसल उत्पादन के लिए कृषि -वैज्ञानिकों ने प्रकृति प्रदत्त जीवाणुओं को पहचानकर उनसे विभिन्न प्रकार के पर्यावरण हितैषी उर्वरक तैयार किया गया है। जिन्हें हम जैव उर्वरक या जीवाणु खाद कहते हैं। रासायनिक उर्वरक के प्रयोग से उपज में वृद्धि तो होती है परन्तु अधिक प्रयोग से मृदा की उर्वरता तथा संरचना पर भी प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है, इसलिए रासायनिक उर्वरक के साथ-साथ जैव उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए। जैव उर्वरक के फसल के पोषक तत्त्वों की आपूर्ति होने के साथ-साथ मृदा की उर्वरकता भी बनी रहती है। जैव उर्वरकों का प्रयोग रासायनिक उर्वरकों के साथ करने से रासायनिक उर्वरकों की क्षमता बढ़ती है, जिससे उपज में वृद्धि होती है। राइजाबियम तथा एजोटो वैक्टर दो जैव उर्वरक हैं।