रचनाकार को यह छूट है कि वह अपनी रचना का शीर्षक जो चाहे रखे ।किन्तु सिद्धान्ततः शीर्षक के सम्बन्ध में शास्त्रों का विचार है कि यह मूलभाव का द्योतक, आकर्षक और छोटा अर्थात् संक्षिप्त होना चाहिए । इस दृष्टि से विचार करने पर हम पाते हैं कि पूरी कथा में बाढ़ और उससे बचने के प्रयास में मनुष्य के विश्वास को उतना दिखलाया गया है। बाढ़ से निजात पाने के लिए देवी-देवताओं से की गई प्रार्थना, मनौतियाँ व्यर्थ होती हैं। इस प्रकार यह शीर्षक मूल भाव को व्यक्त करता है। जहाँ तक आकर्षक और संक्षिप्त होने की बात है और यह शीर्षक दोनों अपेक्षाओं को पूरा करता है क्योंकि 'ढहते विश्वास' पढ़ने के साथ ही मन में उत्सुकता जगती है कि कौन विश्वास, कैसा विश्वास जो ढह रहा है ? और, संक्षिप्त तो खैर है ही। इस प्रकार, 'ढहते विश्वास' उपयुक्त शीर्षक है ।