(i) पाठ का नाम - हमारी नींद।
(ii) रचनाकार का नाम - बीरेन डंगवाल।
(iii) कवि ने गरीब बस्तियों की अभावग्रस्तता, दीन-हीनता के साथ दिखावटीपन की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया है। गरीब लोग चेतना के अभाव में, अंधविश्वास के चक्कर में पडकर देवीपूजन, देवी-जागरण में पैसा, समय और सारी ऊर्जा खर्च करते हैं। अत्याचारियों और शोषकों के पास सारी शक्ति और संसाधन जमा हैं। शोषित लाचार, विवश तथा बेकार हैं। लेकिन कर्मनिष्ठ व्यक्ति जीवन से लड़ता है, हार नहीं मानता है। कवि ने समाज के उनलोगों की भी चर्चा की है। जो शोषक हैं, वे दूसरी कतार के लोग हैं। जो राष्ट्रनिर्माण समाजसेवा में अपने नेक-इरादों के साथ सदैव लगे रहते हैं। वे सच्चे कर्मवीर होते हैं तथा कर्तव्यपथ पर अग्रसर होते हुए अपनी यात्रा को अबाध-गति देते हैं।