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निम्नांकित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दें : 

जननी जन्मभूमि स्वर्गादपी गरीयसी, को भावना का विकास शिक्षा के साथ बढ़ता जाता है। भक्ति का क्षेत्र भावना अथवा हृदय है तथा राष्ट्रवाद का संबंध बुद्धि से है। अतः देश भक्ति के प्रति एक प्रकार का अनुराग है और राष्ट्रवाद मस्तिष्क के तर्क से उत्पन्न विचार। राष्ट्रवाद के मूल में देशभक्ति बीज रूप में सुरक्षित रहती है। अनेक अन्य प्रकार की भक्ति की भाँति भी देश की रज के प्रति भक्ति की भावना है। प्रारम्भ में मनुष्य की भक्ति तथा ममत्व की भावना जन्मभूमि तक सीमित थी किन्तु शनैः शनैः उसका विस्तार राज्य की सीमा में बढ़ा। शिक्षा के प्रसार तथा यातायात की सुविधाओं के साथ मनुष्य का परिचय एक बड़े भूखण्ड के अन्य भागों से भी हुआ। सामान्य विशेषताओं रीति-रिवाज और संस्कृति की एकता के आधार पर आपस में सम्बन्ध स्थापित हुआ। इसी कारण आज देश भक्ति की भावना जिस विस्तृत रूप में संसार के सम्मुख आयी है वैसी उसके पहले कभी न थी। आज हम अपने पूरे देश या राष्ट्र को जन्मभूमि की संज्ञा देते हैं। जन्मभूमि का अर्थ स्वदेश है जिसके प्रति रागात्मक वृत्ति सजग रहती है। सामन्तवादी समाज व्यवस्था में व्यक्ति की भावना के क्षेत्र में केवल छोटे-छोटे राज्य थे उनकी देश भक्ति शासन के प्रति मोह तक ही सीमित थी, किन्तु आज समष्टि के प्रति सब में प्रेम भावना बढ़ी है मानवता के प्रति सभी राष्ट्र आगे आये है "वशुधैव कुटुम्बकम की भावना बढ़ी है"। 

(क) इस अवतरण के आधार पर जन्मभूमि का महत्व लिखें।

(ख) देश भक्ति एवं राष्ट्रवाद में क्या अंतर है? 

(ग) देश भक्ति का बीज कहाँ छिपा रहता है?

(घ) आज जन्मभूमि का अर्थ क्या है?

(ङ) सामन्तवादी समाज व्यवस्था में व्यक्ति की भक्ति की भावना कहाँ तक सीमित थी?

(च) प्रारम्भ और आज की भक्ति भावना में क्या अंतर है। इसमें किन कारणों से विस्तार आया है?

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(क) स्वदेश को ही प्रकारान्तर में 'जन्मभूमि' नाम से सम्बोधित किया जाता है। वर्तमान समय में हम अपने पूरे देश या राष्ट्र को जन्मभूमि की संज्ञा देते हैं। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी जन्मभूमि के प्रति रागात्मक वृत्ति रहती है।

(ख) देशभक्ति का संबंध भावना अथवा हृदय से है, जबकि राष्ट्रवाद का संबंध बुद्धि से है। अतः देशभक्ति, देश के प्रति अनुराग है- राष्ट्रवाद मस्तिष्क के तर्क से. उत्पन्न विचार।

(ग) राष्ट्रवाद के मूल में देशभक्ति का बीज छिपा रहता है।

(घ) आज पूरे देश या राष्ट्र को जन्मभूमि की संज्ञा दी जाती है।

(ङ) सामन्तवादी व्यवस्था में व्यक्ति की भावना के क्षेत्र में केवल छोटे-छोटे राज्य थे। अतः उनकी देशभक्ति की भावना वहाँ के शासन के प्रति मोह तक ही सीमित थी।

(च) प्रारम्भिक काल में व्यक्ति की देशभक्ति की भावना छोटे-छोटे राज्यों तक सीमित थी। परन्तु आज के युग में "वसुधैव कुटुम्बकम्" की भावना व्यक्ति के हृदय में प्रस्फुटित हुई है। इसका कारण समष्टि के प्रति सबमें प्रेम भावना का पनपना है।

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