उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं एवं विशिष्टताओं के अनुसार सॉफ्टवेयर विकसित करना। इस प्रकार का सॉफ्टवेयर कहलाता है
(A) कस्टोमाइज्ड सॉफ्टवेयर
(B) टेलर-मेड सॉफ्टवेयर (टेलर-निर्मित सॉफ्टवेयर)
(C) रेडि टु यूज़ सॉफ्टवेयर (प्रयोग हेतु तैयार सॉफ्टवेयर)
(D) उपर्युक्त में से एक से अधिक
(E) उपर्युक्त में से कोई नहीं