भूकम्प का तात्पर्य भूपटल में कंपन से है। भूकंप का मूल कारण पृथ्वी के आन्तरिक भागों में विविध कारणों से ऊर्जा की उत्पत्ति और ऊष्मा तरंगीय वितरण है।
भूकम्प एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसके कारण जान-माल की काफी क्षति होती है। भूकम्प की स्थिति में भवनों, पुलों का गिर जाना, जमीन में दरार होना जैसी घटनाएँ सामान्य रूप से होती हैं। इससे भारी बर्बादी होती है।
भूकंप से बचाव के उपाय :
(i) भूकंप का पूर्वानुमान : भूकंपलेखीय यंत्र के द्वारा भूकंपीय तरंगों का पूर्वानुमान किया जा सकता है।
(ii) भवन निर्माण : भवनों का निर्माण भूकंपरोधी तरीकों के आधार पर किया जाना चाहिए । खासकर उन क्षेत्रों में जो भूकंप प्रभावित हैं।
(iii) प्रशासनिक कार्य : भूकंप के बाद राहत कार्य के लिए प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा निरोध दस्ते का गठन किया जाना चाहिए।
(iv) गैर-सरकारी संगठनों का सहयोग : भूकंपीय आपदा से निपटने के लिए गैर-सरकारी संगठनों का भी योगदान हो सकता है। ये संस्थाएँ न सिर्फ राहत कार्य में मदद कर सकती हैं, बल्कि भूकम्प के पूर्व लोगों को भूकम्प विरोधी भवन निर्माण तथा भूकम्प के समय तत्काल बचाव हेतु लोगों को प्रशिक्षित भी कर सकती हैं।