आपदा अपने आप में एक ऐसा शब्द है जो प्राणी जगत को दहला देता है। वह जब आती है तो प्रलय का दृश्य उपस्थित हो जाता है। इसलिए इसका प्रबंधन आवश्यक है। आपदा से न केवल विकास कार्य अवरुद्ध होते हैं बल्कि विकास कार्यों में कई व्यवधान उपस्थित होते हैं। यद्यपि राष्ट्रीय स्तर तथा राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन की व्यवस्था की गई लेकिन इसमें कुछ त्रुटियाँ भी हैं।
उत्तर बिहार के लोगों ने कोसी की विनाशलीला को अंगीकार कर लिया है और सामूहिक सहयोग से इससे बचते रहे हैं। सुखाड़ के प्रबंधन हेतु भी सामूहिक सहयोग से कुएँ की खुदाई, तालाब की खुदाई करे इससे बचने के उपाय खोजते रहे हैं। भूकप और सुनामी के लिए भी प्रबंधन की आवश्यकता है।