पुरुष जब नारी के गुण लेता है तब वह अर्द्धनारीश्वर बन जाता है। अर्द्धनारीश्वर शंकर और पार्वती का कल्पित रूप है जिसमें आधा अंग पुरुष का तथा आधा अंग नारी का होता है। अर्द्धनारीश्वर के माध्यम से यह बताया है कि समाज में स्त्री और पुरुष दोनों का अपना-अपना स्थान और महत्व है।