भगत सिंह के अनुसार सभी गुलाम देशों को आजाद करानेवाले वहाँ के विद्यार्थी और नौजवान ही हुआ करते हैं। अतः, राजनीति में विद्यार्थियों का भाग लेना वांछित और अपरिहार्य होता है। आजादी के पश्चात गुलामी के कारण आई सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक जड़ता को समाप्त करने के लिए विद्यार्थियों का राजनीति में भाग लेना अनिवार्य होता है। विद्यार्थियों को राजनीति में भाग नहीं लेना चाहिए, यह भ्रांत धारणा तो स्वार्थी राजनेताओं और शासन के द्वारा फैलाया जाता है। विद्यार्थी अभी पारिवारिक जंजाल में फँसे नहीं होते, अतः यह उन्हीं के द्वारा संभव है कि वे अपनी संपूर्ण ऊर्जा के साथ अपने देश और समाज की सेवा कर सकेंगे। राजनीति सामाजिक और शासकीय संरचना को प्रभावित करती है, अतः विद्यार्थियों को इसमें सक्रिय भागीदारी का निर्वाह करते हुए अपने देश और समाज की सेवा के लिए प्रस्तुत होना चाहिए।