Use app×
Join Bloom Tuition
One on One Online Tuition
JEE MAIN 2025 Foundation Course
NEET 2025 Foundation Course
CLASS 12 FOUNDATION COURSE
CLASS 10 FOUNDATION COURSE
CLASS 9 FOUNDATION COURSE
CLASS 8 FOUNDATION COURSE
0 votes
33 views
in Biology by (58.6k points)
closed by

ठोस अपशिष्टों का वर्गीकरण तथा इसके निपटारे का प्रबंधन सविस्तार लिखें।

1 Answer

+1 vote
by (59.1k points)
selected by
 
Best answer

ठोस अपशिष्टों का वर्गीकरण \(-\) मानव की विभिन्न गतिविधियों से निष्कासित होनेवाले ठोस अपशिष्टों को तीन वगों में बाँटा जा सकता है \(-\)

(a) जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट : वैसे अपशिष्ट या अवांछित पदार्थ, जिनका जैविक निम्नीकरण या अपघटन होता हो, को जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहते हैं। इस वर्ग के अपशिष्टों का अपघटन मुख्यतः जीवाणुओं द्वारा होता है। जंतुओं के मल-मूत्र, वाहित मल, कृषि द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट, पेड़-पौधों के मृत शरीर, कागज, कपास से निर्मित कपड़े आदि इसके उदाहरण हैं। अपघटनकर्ता इन अपशिष्टों का निम्नीकरण कर आवश्यक तत्वों को पुनः पर्यावरण में स्थापित कर देते हैं।

(b) जैव-अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट : वैसे अपशिष्ट, जिनका जैविक अपघटन नहीं हो पाता है तथा जो अपने स्वरूप को हमेशा बनाए रखते हैं, अर्थात् प्राकृतिक विधियों द्वारा नष्ट नहीं होते हैं, जैव-अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं। विभिन्न प्रकार के रसायनों, जैसे पीड़कनाशक DDT, शीशा, आर्सेनिक, ऐलुमिनियम, रेडियोधर्मी पदार्थ आदि इसके उदाहरण हैं।

(c) पुनश्चक्रणीय अपशिष्ट : वैसे अपशिष्ट, जिसका पुनश्चक्रण द्वारा पुनः उपयोग किया जा सके, को पुनश्चक्रणीय अपशिष्ट कहते हैं।

अपशिष्टों के निपटारे का प्रबंधन \(-\) साधारणतः अपशिष्टों को एक जगह एकत्रित कर जला दिया जाता है, लेकिन इससे कुछ अपशिष्ट तो जल जाते हैं पर कुछ बचे रह जाते हैं। इसके बदले में सैनिटरी लैंडफिल्स का उपयोग किया जाने लगा है। इसमें जमीन में गड्‌ढा कर अपशिष्टों को उसमें मिट्टी से ढंक दिया जाता है। इससे भी समस्या का समुचित निदान संभव नहीं हो सकता, क्योंकि बड़े शहरों में इन अपशिष्टों की मात्रा इतनी अधिक होती है कि ये गड्ढे तुरंत भर जाते हैं। इसके अतिरिक्त लैंडफिल्स से रसायन रिसकर भौम जल को दूषित कर देते हैं। अतः विभिन्न प्रकार के अपशिष्टों के निपटारे के कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं : 

(i) जैव-अनिम्नीकरणीय पदार्थों के स्थान पर जैव-निम्नीकरणीय पदार्थों का उपयोग करना चाहिए जिससे प्राकृतिक रूप में इनका विघटन हो सके। जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्टों को जमीन के अंदर गहरे गड्ढे में डालकर निपटारा किया जाता है।

(ii) जिन पदार्थों का पुनश्चक्रण होता है उसे अलग करने के बाद जमाकर एक साथ कबाड़ीवाले को दे देना चाहिए जो इन्हें वैसे औद्योगिक संस्थानों तक पहुँचा देते हैं जहाँ इसे गलाकर पुनः उपयोग में लाया जाता है।

(iii) वैज्ञानिक तरीकों से अपशिष्टों को एकत्रित कर शहर के बाहर बंजर भूमि में गड्ढे का निर्माण कर डाल देना चाहिए।

(iv) प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग कम हो इसके लिए बाजार जाते समय कपड़े या प्राकृतिक रेश, जैसे जूट की थैली साथ रखनी चाहिए। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि सामानों की पैकिंग हमेशा जैव-निम्नीकरणीय या ecofriendly पदार्थों, जैसे कागज, मिट्टी आदि से हो। अपनी ओर से हमें इसकी पहल करनी चाहिए जबकि इसके विपरीत विभिन्न खाद्य-सामग्रियों, फलों, सब्जियों, जल, दूध आदि धड़ल्ले से प्लास्टिक पैक में बेची जाती है। जब तक हम पर्यावरण के बारे में स्वतः संवेदनशील नहीं होंगे, इसका सही समाधान नहीं है।

Related questions

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

...