जीन चिकित्सा : इस विधि द्वारा जीन दोषों का सुधार किया जाता है। इसमें रोग के उपचार हेतु जीनों को व्यक्ति की कोशिकाओं या ऊतकों में प्रवेश कराया जाता है। जीन चिकित्सा में आनुवंशिक दोषवाली कोशिकाओं के उपचार हेतु सामान्य जीन को व्यक्ति या भ्रूण में स्थानांतरित किया जाता है। ये स्थानांतरित जीन निष्क्रिय जीन की क्षतिपूर्ति कर उनके कार्यों को संपन्न करते हैं।
आण्विक निदान : किसी भी रोग के प्रभावी उपचार के लिए उसकी प्रारंभिक पहचान तथा उसके रोगक्रियाविज्ञान को समझना आवश्यक होता है। सामान्यतया रोग का पता लगाने के लिए पैथोलॉजिक टेस्ट कराया जाता है जिसमें सीरम एवं मूत्र विश्लेषण आदि किया जाता है। इस टेस्ट द्वारा रोग को प्रारंभिक अवस्थाओं में पता लगा पाना मुश्किल होता है।