अर्द्ध - आयु की संकल्पना (Concept of Half - life)
हम जानते हैं कि रेडियोएक्टिव तत्वों का सदैव विघटन होता रहता है और जैसे - जैसे समय बीतता जाता है, अविघटित नाभिकों की संख्या घटती जाती है। "वह समय जिसमें किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ के अविघटित नाभिकों (undecayed nuclei) की संख्या घटकर आधी रह जाती है, उस तत्व की अर्द्ध - आयु कहलाती है।" इसे T से व्यक्त करते हैं। एक तत्व के लिए इसका मान नियत एवं विभिन्न तत्वों के लिए भिन्न - भिन्न होता है। अर्द्ध - आयु का मान लिये गये पदार्थ की मात्रा पर निर्भर नहीं करता है। इसे भौतिक एवं रासायनिक प्रभावों द्वारा बदला नहीं जा सकता है। कुछ तत्वों की अर्द्ध - आयु नीचे दी जा रही है-
यदि किसी रेडियोएक्टिव तत्व की अर्द्ध - आयु T है तो T समय पश्चात् वह अपनी प्रारम्भिक मात्रा का 50%, 2T समय बाद 25%, 3T समय बाद 12.5, 4T समय बाद 6.25% शेष रह जायेगा। यदि पदार्थ के नाभिकों की संख्या को समय के साथ ग्राफ कर प्लॉट करें तो चित्र की तरह चरघातांकी वक्र प्राप्त होगा।
माना प्रारम्भ में किसी पदार्थ के नाभिकों की संख्या N0 है अर्थात् t = 0 पर N = N0 तो एक अर्द्ध - आयु (अर्थात् t = T) के बाद शेष नाभिकों की संख्या
N1 = \(\frac {N_0}{2}\)
या N1 = N0 \((\frac{1}{2})^1\)
दो अर्द्ध - आयुओं के पश्चात् अर्थात् t = 2T के बाद शेष नाभिक
इसी प्रकार तीन अर्द्ध - आयुओं के बाद (t = 3T) शेष नाभिक
N3 = \(\frac{N_2}{2} = N0 (\frac{1}{2})^2 (\frac{1}{2})\)
या N3 = N0 \((\frac{1}{2})^3\)
इसी प्रकार n अर्द्ध - आयुओं के पश्चात् (t = nT) शेष नाभिक
Nn = N0 \((\frac{1}{2})^n\)
या व्यापक रूप से । अर्द्ध - आयुओं के पश्चात् शेष नाभिकों की
संख्या -
N = N0 \((\frac{1}{2})^n\) .............(1)
∵ t = n.t
∴ n = \(\frac{t}{T}\) की सहायता से n का मान ज्ञात कर सकते हैं।
अर्द्ध - आयु तथा क्षय नियतांक में सम्बन्ध: यदि प्रारम्भ में (अर्थात् t = 0) नाभिकों की संख्या N0 हो तो t समय के बाद शेष नाभिकों की संख्या
N = N0e-λt
जब t = T तो N = \(\frac{N_0}{2}\)
∴ \(\frac{N_0}{2}\) = N0e-λt
या \(\frac{1}{2}\) = e-λT = \(\frac{1}{e^{\lambda T}}\)
या 2 = eλT
दोनों ओर का लघुगणक लेने पर
loge2 = logeeλT = λT logee = λT
या λT = loge2
या T= \(\frac{log_e2}{\lambda}\) ........(2)
इस समीकरण की सहायता से λ ज्ञात होने पर T का मान ज्ञात कर सकते है और T ज्ञात होने पर λ का मान ज्ञात कर सकते हैं।
∵ loge2 = 0.6931
∴ T = \(\frac{0.6931}{\lambda}\) ..........(3)
या λ = \(\frac{0.6931}{\lambda}\) ..........(4)
रेडियोएक्टिव पदार्थ की माध्य - आयु (Average Life of a Radioactive Substance)
जैसा कि हम पढ़ चुके हैं, रेडियोएक्टिव विघटन की प्रकृति सांख्यिकीय (statistical) होती है अर्थात् यह नहीं कहा जा सकता है कि कौन - सा नाभिक कब विघटित होगा और विघटित होकर किस प्रकार का कण उत्सर्जित करेगा। किसी भी नाभिक के विघटन का समय शून्य से अनन्त के मध्य कुछ भी हो सकता है। सभी नाभिकों की आय के औसत को ही माध्य - आयु (Average life) कहते हैं। इसे τ से प्रकट करते हैं। गणितीय रूप से यह सिद्ध किया जा सकता है कि किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ की माध्य आयु क्षय नियतांक (λ) के व्युत्क्रम के बराबर होती है अर्थात्
या τ = \(\frac{1}{\lambda}\)
माध्य - आयु का व्यंजक (Expression for Mean or Average Life)
रदरफोर्ड एवं सोडी के नियम से
\(\frac{dN}{dt} = -\lambda N\)
केवल परिमाण लेने पर-
या \(|\frac{dN}{dt}| = \lambda N\) ...........(1)
अतः समय t व (t + dt) के मध्य विघटित नाभिकों की संख्या
dN = λNdt .........(2)
या t = 0 पर अविघटित नाभिकों की संख्या N0 हो तो
चूँकि नाभिक लगातार अनन्त काल तक विघटित होते रहते हैं। अत: Σ को t = 0 से t = 0 के निश्चित समाकलन के रूप में लिख सकते है।