(अ) षट्कोणीय क्रिस्टल तन्त्र हेतु अक्षीय कोण α = β = 90°, γ = 120°
(ब) सिलिकॉन में बोरोन अपमिश्रित करने पर प्रकार का अर्द्धचालक प्राप्त होता है।
si में चार संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं। B जिसके संयोजी कोश में तीन इलेक्ट्रॉन होते है, वह निकट के परमाणुओं से तीन बन्ध बना पाता है। इस प्रकार प्रत्येक B परमाणु पर एक इलेक्ट्रॉन न्यून छिद्र बन जाता है। इलेक्ट्रॉन न्यून होने के कारण यह छिद्र धन आवेशित बन जाता है। विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में निकट के Si परमाणु से इलेक्ट्रॉन आकार इस छिद्र को भरता है, परिणामस्वरूप उस स्थान पर धनात्मक छिद्र बन जाता है। इलेक्ट्रॉन इन धनात्मक छिद्रों के माध्यम से धनात्मक इलेक्ट्रोड की ओर गमन करते हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि धनात्मक छिद्र ऋणात्मक इलेक्ट्रोड की ओर गमन कर रहे हैं। इस प्रकार के अर्द्धचालक-प्रकार के अर्द्धचालक कहलाते है।