उत्प्रेरक वह पदार्थ है जिसमें स्वयं स्थायी रासायनिक परविर्तन हुए बिना यह अभिक्रिया के वेग को बढ़ाता या घटाता है, जो उत्प्रेरक की प्रकृति पर निर्भर करता है।
उदाहरण के लिए, MnO2 निम्न अभिक्रिया के उत्प्रेरित कर वेग में वृद्धि करता है। जिसे धनात्मक उत्प्रेरक कहते हैं।
धनात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा को कम कर देता है जिससे निम्न ऊर्जा स्तर में उपस्थित अभिकारक के अणु भी उत्पाद बनाने लगते हैं और अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है।
जब मिलाया गया उत्प्रेरक पदार्थ अभिक्रिया की दर को कम करता है तो उसे ऋणात्मक उत्प्रेरक या निरोधक कहते हैं। ऋणात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया के लिए सक्रियण ऊर्जा का मान बढ़ा देते हैं जिससे अभिक्रिया का वेग कम हो जाता है।
अतः उत्प्रेरक, अभिक्रिया की गिब्ज ऊर्जा, ∆G में बदलाव नहीं करता। वह स्वतः प्रवर्तित अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करता है परंतु स्वतः अप्रवर्तित अभिक्रया को उत्प्रेरित नहीं करता उत्प्रेरक अग्र एवं प्रतीप अभिक्रिया को समान रूप से उत्प्रेरित कर, शीर्घ ही साम्य स्थापित करता है।